
अद्वीर के दिमाग में एक अजीब सा ख्याल आया। क्या होगा अगर वह खुद को पूरी तरह से 70s के अंदाज़ में ढाल ले? उसने अपनी अलमारी खोली और अपने फैशन-फॉरवर्ड कपड़ों को किनारे कर दिया। एक विंटेज स्टाइल की बेलबॉटम पैंट, चौड़े कॉलर वाली शर्ट और ऊपर से एक स्कार्फ़—यही तो उस दौर का ट्रेंड था। दाढ़ी-मूछें हल्की करके उसने बालों को पीछे की ओर संवार लिया, ठीक वैसे जैसे 70s के स्टार्स करते थे। खुद को आईने में देखकर वो हंस पड़ा। "यार, अद्वीर चौहान! आज तू वाकई उस दौर का लग रहा है!" रात को जैसे ही उसने खिड़की खोली, उसे महसूस हुआ कि सामने की दुनिया वैसी नहीं थी जैसी वो रोज़ देखता था। वहाँ 2025 नहीं था—वहाँ 1975 था। वो धीरे-धीरे अपने कमरे की खिड़की के दूसरी तरफ पहुँचा। जैसे ही उसने कदम रखा, हवा में एक अलग सी खुशबू थी—पुराने ज़माने की, ताज़े मोतियों से बने गजरे की, मिट्टी में सने हुए पुराने बरामदों की। अब वह 2025 में नहीं, बल्कि 1975 में था। उसकी आँखें वेदाही को ढूँढने लगीं। और फिर उसने देखा—वेदाही छत पर बैठी थी, हाथ में पुराना टेप रिकॉर्डर था और वह पुराने गाने सुन रही थी। "आज बहुत सुंदर लग रही हो," अद्वीर ने कहा। वेदाही ने चौंककर उसकी तरफ देखा और फिर ठहाका मारकर हंस पड़ी। "ये क्या हाल बना रखा है? कहीं किसी फिल्म में ऑडिशन देने गए थे क्या?" अद्वीर मुस्कुराया। "नहीं, सोचा तुम्हारे दौर में आऊँ तो तुम्हारी तरह ही दिखना चाहिए।" वेदाही उसकी तरफ देखकर हैरान थी। उसने सोचा भी नहीं था कि अद्वीर सच में इस हद तक चला जाएगा। "मुझे लगा था तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे थे, लेकिन तुम तो सच में..." अद्वीर ने उसे टोकते हुए कहा, "राजेश खन्ना का फैन हूँ, थोड़ा तो स्टाइल कॉपी करना बनता है ना?" वेदाही मुस्कुरा दी। "बेलबॉटम में बुरे नहीं लग रहे, लेकिन तुम असली नहीं लगते!" "असली? मतलब?" अद्वीर ने भौंहें चढ़ाईं। वेदाही थोड़ा पास आई और उसकी शर्ट के कॉलर को सही किया। "70s के लड़के तुम्हारी तरह इतनी सफाई से तैयार नहीं होते। उन्हें थोड़ा बेपरवाह अंदाज़ पसंद होता है।" अद्वीर ने हंसते हुए सिर हिलाया। "अच्छा? तो अब मुझे थोड़ा और मेहनत करनी पड़ेगी?" "बिलकुल!" वेदाही ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा। अद्वीर अब इस दुनिया में पूरी तरह डूबने लगा था। ये जादू था? सपना था? या फिर सच में कोई ऐसा राज़ था जो समय की दीवार को तोड़कर उसे यहाँ ले आया था? लेकिन एक सवाल अभी भी उसके मन में था—अगर ये सच है, तो क्या वेदाही को कभी पता चलेगा कि वह जिस दौर में जी रही है, वहाँ से पचास साल आगे कोई उसकी कहानी जानने के लिए बेकरार बैठा है?



Write a comment ...